कोलकाता के कर्फ्यू का क्या कारण?
इस बार ऐसा क्या हुआ? वामपंथी वैसे भी अल्पसंख्यको का विशेष ध्यान रखते है. देशद्रोह की हद तक जा कर बंगलादेशीयों को संरक्षण मिलता रहा है. नंदीग्राम में जो हुआ सो हुआ मगर खुद वामपंथी ही अपनी विचारधारा से उपर उठ कर नंदीग्राम वासीयों के साथ खड़े दिखे. उन्हे अकेला नहीं छोड़ा, वे कोई कश्मीरी पंडित या गोदरा में मरने वाले तो थे नहीं जो कोई आंसू बहाने वाला ही ना मिलता. एक पूरी जमात उनके लिए लिखने, दिखाने, प्रदर्शन करने सड़क पर उतर आयी. और कोई क्या कर सकता है? न्याय के लिए लोकतांत्रिक तरीके से लड़ ही तो सकते है.