नमस्कार
नमस्कार बन्धूओं,
जय श्री कृष्ण.
मेरी हिन्दी अधिक अच्छी तो नहीं है, मगर आपके साथ रहते रहते जरूर सीख जाने की उम्मीद है.
ब्लोग के बारे में संजय भाई ने बताया और कुछ दिन ब्लोगस पढ़ने के बाद अपना ब्लोग बनाने का विचार किया है.
संजय भाई..... देख रहे हो? :) बना लिया ना अपने आप :)
6 comments:
स्वागतम नटराज ! हिन्दी चिट्ठाकारी में आपका अभिनन्दन है।
यार नट राज .. तुम तो दिल पे ले लेते हो. नाराज़ मत हुआ करो यार.. अब रेल गाड़िया तो गुजरात में भी जलाई जाती है और लोग वहाँ भी मारे जाते हैं .. अंतर इतना ही है की एक रोटी के लिए करता है और दूसरा धर्म के लिए , लगता है आपको रोटी की ज़रूरत नही .. तभी आप नाराज़ हो रहे हैं , तभी आपको जलती हुई रेल गाड़िया जल्दी दिखती हैं लेकिन भूख से मरते बच्चे नही .
यार नट राज .. तुम तो दिल पे ले लेते हो. नाराज़ मत हुआ करो यार.. अब रेल गाड़िया तो गुजरात में भी जलाई जाती है और लोग वहाँ भी मारे जाते हैं .. अंतर इतना ही है की एक रोटी के लिए करता है और दूसरा धर्म के लिए , लगता है आपको रोटी की ज़रूरत नही .. तभी आप नाराज़ हो रहे हैं , तभी आपको जलती हुई रेल गाड़िया जल्दी दिखती हैं लेकिन भूख से मरते बच्चे नही .
लगता है कि शाखा वालो से आपको काफ़ी प्यार है नट राज जी महाराज
स्वागतम नटराज जी;
मुझे खुशी है कि तुम दिल पर लेते हो, क्योंकि तुम्हारे पास अभी भी दिल बाकी है.
जिन लोगों के पास दिल नहीं होता, खाली दिमाग होता है. और जानते हो, खाली दिमाग शैतान का घर होता है.
हिन्दी प्रेमियों के बीच स्वागत है नटराज।
शुभकामनाएं
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