Sunday, May 6, 2007

दारूबन्दी होगी हल्की

गुजरात में दारूबन्दी है, आपको कहीं भी दारू की दुकान नहीं दिखेगी। मगर अब कुछ छुट-छाट देनी की कोशिशे हो रही है। वैसे तो कहते है यहाँ माँगो उतनी मिलती है, मगर आम आदमी को पीनी हो तो कहाँ से खोजता फिरे? तो उसके पास एक ही रास्ता बचता है कि वह गाँधी बापू को कोसे न गाँधी गुजरात के होते न यहाँ दारू बन्दी होती। मगर लगता है, नियमो को कुछ हल्का किया जाएगा, जैसे अब डॉक्टर भी सर्टीफिकेट दे सकेंगे की मरीज के लिए स्वस्थ रहने के लिए दारू पीनी जरूरी है. और मरीज बे रोक टोक यम यम यम.... :)

9 comments:

Sanjeet Tripathi May 7, 2007 at 1:01 AM  

भाई जहां दारूबंदी होती है, वहां अवैध बिक्री ज्यादा होती है वह भी देशी शराब की।
एक संस्मरण ---- सन 2002 में छत्तीसगढ़ से करीब 28 पत्रकारों को यहां की राज्य सरकार गुजरात दौरे पर लेकर गई, हम भी इस दल में शामिल थे, मौका था छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोद लिए एक भूकंप प्रभावित गांव के सोनिया गांधी के हाथों लोकार्पण का। तो अहमदाबाद से लेकर मोरवी तक, करीब चार दिन तक हमारे साथ के जुगाड़ू शौकीन पत्रकार बंधुओं को कहीं भी शराब की कमी महसूस नहीं हुई थी जबकि सबका यह पहला गुजरात दौरा था, तो फ़िर आप स्थानीय शौकीनों के बारे मे सोच सकते हैं कि उन्हें वहां कितनी आसानी से उपलब्ध हो जाती होगी।

लिखते रहें

पंकज बेंगाणी May 7, 2007 at 1:43 AM  

पीओ और पीते रहो. :)

संजय बेंगाणी May 7, 2007 at 2:08 AM  

भई लगता है अभी दारू बन्दी पूरी नहीं हटने वाली अतँ अभी तो बापू को गालियाँ ही खाते रहना पड़ेगा :(

dhurvirodhi May 7, 2007 at 2:20 AM  

कुछ नहीं होता दारूबन्दी से
हां कुछ नेताओ और पुलिस की इन्कम जरूर बढ़ जाती है.

परमजीत सिहँ बाली May 7, 2007 at 3:01 AM  

भाई, शराब तो तभी बन्द हो सकती है जब लोगो को उससे बड़ा नशा उपलब्ध होगा । आपसी प्रेम का। लेकिन अब इस की भी कोई उम्मीद नही।सरकार को जो टैक्स इस से मिलता है उसे वह कैसे छोड़ दे। देशवासियॊं का स्वाथ चौपट होता रहे उन्हें किया परवाह है।गाँधीजी का नाम लेना तो अब फैशन हो गया है ,ताकि लोग आपको देशभक्त सम्झे।

ePandit May 7, 2007 at 3:03 AM  

अपने हरियाणा में भी एक बार शराबबंदी हुई थी। पुलिस और स्मगलरों ने खूब चांदी कूटी।

Arun Arora May 7, 2007 at 3:19 AM  

भाई हम आप लोगो से असहमत है हमारे हिसाब से दारु बन्दी अच्छी चीज है,जब हरियाने मे दारु बन्द थी कोई दिक्कत नही थी आप फ़ोन करो घर पर ५ मिनिट के अन्दर आप की पसंद हाजिर चाहे रात २ बजे मंगालो ,अब बहुत तकलीफ़ है चाहे सरकार ने हर १०० मीटर पर ठेके खोल दिये हो पर जाना तो पडता ही है न इस दर्द को कोई पीने वाला भाई ही समझ सकता है

Arun Arora May 7, 2007 at 3:25 AM  

माफ़ करना दारु वाले भाइयो के लिये शेर अर्ज है
सुना ही होगा
"या तो पीने दे साकी मस्जिद मे बैठ कर
या वो जगह बता जहा खुदा न हो"
भाई कतई चक्कर मे मत पडना
बस ये ध्यान रखना
"साकी कभी न पीना मस्जिद मे बैठ कर
बोतल एक ही है,कही खुदा न मांग ले"

Udan Tashtari May 7, 2007 at 11:24 AM  

:) राहत मिली समाचार पढ़कर.

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