दो जगह, दोनो ही वामपंथी मगर कितना फर्क
दो जगह, दोनो ही वामपंथी और दो अलग अलग तरह के निर्णय.
नेपाल के सीपीएन (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने कहा कि नेपाल की नई व्यवस्था में देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे मुसलमानों को विशेष अधिकार दिए जाने चाहिए. यानी धर्म को अफिम मानने वाले देश के लोगो को नागरिक के रूप में नहीं उनके धर्म के आधार पर देखते है. यही बात वहाँ हिंदुओं के लिए कही जाती तो घोर साम्प्रदायिक बात होती. खैर भारतीय हो या नेपाली, वामपंथी आखिर है तो एक ही नस्ल के.
अब बात दुसरी नस्ल के कथित वामपंथीयों की. खबर है चीन से. चीन के उत्तर पश्चिमी मुसलमान बहुल जिनझियांग स्वायत्त इलाके में पुलिस की गोली से 5 लोग मारे गए. पुलिस का आरोप है कि ये बहुसंख्यक हान संप्रदाय के खिलाफ जिहाद में शामिल थे.
अपने आकाओ से कुछ सिखेंगे भारतीय व नेपाली वामपंथी?
4 comments:
चलो सुहाना भरम तो टूटा जाना कि चीन क्या है ! खाली-पीली हम इनके उलटी खोपडी को "मेड इन चाइना " ही समझ रहे थे . प्रचंड जी उदारवादी नेता है .हो सकता है अपनी कुर्सी किसी प्रखर मुस्लिम को सौपकर सन्यास ले ले .
आलोचना तथ्यों के आधार पर की जानी चाहिए, आँख मून्द कर नहीं। यह ठीक है कि दोनों जगह वामपंथ है। लेकिन दोनो स्थानों के समाज और अर्थव्यवस्थाएं भिन्न हैं। दोनों स्थानों के मुसलमानों में अन्तर है। न तो सभी मुसलमान एक जैसे होते हैं और न ही हिन्दू। अगर दोनों जगह साम्यवादियों के स्थान पर अन्य कोई भी सत्ता में होता नीति फिर भी भिन्न होती। दबे कुचले लोगों और आतंकवादियों में अन्तर करिए। वामपंथ में खुद कम्युनिस्टों ने भी अंतर किया है। एक उग्रवादी वामपंथ है, एक दक्षिणपंथी वामपंथ है और प्रगतिशील वामपंथ भी। सब की समाज में हैसियत भिन्न होगी, और उन के साथ सलूक भी।
पते की बात है नटराज जी..
***राजीव रंजन प्रसाद
यह सोचिए की नेपाल के तथाकथित माओवादियो के पिच्छे कौन खडा है ? क्यो स्केन्डेवियन देशो से माओवादियो को ईतना धन मिलता रहा है ? क्यो माओवादी नेपाल को धर्म निर्पेक्ष करने तथा गौ हत्या शुरु करवाने मे ईतनी रुचि लेते है । भारत हो या नेपाल, आज के दिन ये वामपंथी ईसाइयो द्वारा संचालित नजर आते है । ईतना ही नही तथाकथित हिन्दु संगठन संघ भी शंका के घेरे मे है ।
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