Thursday, September 25, 2008

ब्लॉगरों/टिप्पणीकारों के आँखे खोल देने वाले कथन

ये ब्लॉगरों/टिप्पणीकारों के वे कथन है जो आँखे खोल देने के लिए काफी है। गुजरात में अदृश्य दीवारें देखने वाले राजदीप हो या खुद को महात्मा गाँधी समझने वाले रवीश या फिर तमाम वे बन्धू जो आतंकियों को शह देते है... इस पर गौर करे और कभी कैमरे ले कर पहूँचे ऐसी जगहो पर जहाँ भारत को छलनी करने वाली पाक छावनियाँ बन गई है।

ये टिप्प्णियाँ यहाँ की गई थी, ध्यान में न आकर कहीं गूम हो सकती थी या मिटा दी जाती, इसलिए इन्हे यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ, जाग सको तो जागो वरना हिन्दुस्तान नक्शों में भी नहीं मिलेगा।

 

सरायमीर के बारे में आप क्या जानते हैं मै सरायमीर का ही हूँ मैं बताता हूँ सरायमीर भारत का हवाला कैपिटल है....जितने पी.सी.ओ.सरायमीर में है उतने तो एक साथ पूरी दुनिया में किसी जगह नही होंगे....जो हवाला के कारोबार में मददगार हैं...सरायमीर के चचा लोगों के घर की तलाशी ली जाए तो इतना असलहा निकलेगा कि जितना हिन्दुस्तानी फौज के पास भी नही होगा....और बाटला हाऊस में मारे गये आतंकियो से आपकी हमदर्दी देखकर लगता है कि बेचारो को विस्फोट के बाद गोली नही परमवीर चक्र मिलना चाहिए था....

-अनिल यादव

 

अनिल यादव ने सही जवाब दिया। पुण्य प्रसून बाजपेयी को कभी मुरादाबाद भी जाना चाहिए। जहां मुगलपुरा और कटघर जैसे इलाकों से हिंदू आबादी को पूरी तरह खदेड़ दिया गया है। कांठ रोड और दिल्ली रोड पर बन रही कालोनियां मुरादाबाद के विकास की नहीं विनाश की कहानी हैं। ये शहर अपने को दो हिस्सों में कब का बांट चुका है। अमर उजाला के लिए मुरादाबाद से पहले मैं रामपुर में भी रहा हूं और वहां ज़रा किले के आसपास के इलाके में जाकर देखिए, क्या हालत है। ऐसा नहीं कि सब जगह यही हालात है, गांव में मेरा घर मुसलमानों की आबादी से सटा इकलौता घर है, लेकिन अपने घर वालों से बात करने के लिए दुबई, कतर या मुंबई में काम करने वालों के सबसे ज़्यादा फोन मेरे ही घर आते हैं।

- पंकज शुक्ल

 

पंकज शुक्ल जी, मुरादाबाद के बारे में आपने बिल्कुल सही कहा है. मैं संभल का रहने वाला हूँ, जहाँ हर बार जाने पर पता लगता है कि इस गली से भी कुछ हिन्दू पलायन कर गए और मुसलमानों ने उनके घर खरीद लिए. यहाँ के मुसलमानों के पास बहुत पैसा है. वह सब नंबर दो के धंदे करते हैं. कोई टेक्स नहीं देता. और सरकार कहती है कि वह गरीब हैं. किसी तरफ़ से भी शहर में घुसिए, मुस्लिम बस्तियों से होकर जाना पड़ेगा. कितनी ही सरकारी जमीन पर मुसलमानों ने अनाधिकृत कब्जा कर लिया है. हिंदू यहाँ अल्पसंख्यक हैं. कुछ ही दिनों में यहाँ बस मुसलमान ही रह जायेंगे.

-सुरेश चन्द्र गुप्त

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