नरेन्द्र मोदी का खूला पत्र
मेरे प्रिय देशवासियों !
सादर नमस्कार |
आप इस सच्चाई से अच्छी तरह वाक़िफ़ है कि पिछले आठ वर्षो से कृत्रिम मामले बनाकर मुझ पर तरह-तरह के मनघडंत आरोप लगाने का फैशन सा हो गया है | पिछले एक सप्ताह से जो अफवाहें, आरोप ओर झूठ फैल रहे है, इनकी गहराई में उतरें तो दूध का दूध ओर पानी का पानी हो जाएगा | सत्य हमेशा सीमाएं तोड़कर भी बाहर आता है | यह सत्य क्या है इसका ताज़ा उदाहरण आपके समक्ष रखने की मुझे जरूरत आन पडी है |
वर्ष २००२ की गोधरा घटना के बाद गुजरात विधानसभा सदन और सार्वजनिक रूप से अनेक बार मैने बयान दिया है कि भारत का संविधान और कानून सर्वोपरि है | कोई भी नागरिक, चाहे वह मुख्यमंत्री हो तो भी कानून से ऊपर नहीं है | मैं इस वास्तविकता को सिर्फ शब्दों से ही नही बल्कि सच्ची भावना (इन टू स्पिरिट) से आज तक निभाता आया हुं और भविष्य में भी इसी भावना से निभाने के लिए प्रतिबंध हूँ |
इसके बावजूद कई स्वार्थी तत्व, बिना तथ्य के मन-घडंत और अनुमानों के आधार पर गुजरात को, मेरी सरकार को और स्वयं मुझे बदनाम करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देते |
हाल ही मे "SIT का नरेन्द्र मोदी को समन्स" जैसी ख़बरें फैलाकर मोदी SIT के समक्ष उपस्थित नहीं हुए ओर मोदी ने सुप्रीम कोर्ट तथा SIT का अनादर किया और मोदी ने तय तारीख पर अनुपस्थित रह कर SIT का अनादर किया जैसा आधारहीन और मन-घडंत दुषप्रचार करके फिर एक बार गुजरात को बदनाम किया जा रहा है | इसलिए मजबूरी में देशवासियों को इस सार्वजनिक पत्र द्वारा सच्चाई बता रहा हुं |
सच्चाई :
• अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक SIT ने मुझे बुलवाया है, इसकी जानकारी मिलते ही सरकार के अधिकृत प्रवक्ता ने तत्काल ही बयान जारी किया कि नरेन्द्र मोदी संविधान के पालनकर्ता है ओर कानून की प्रत्येक प्रक्रिया में सहयोग देते रहे है तथा देते रहेंगे |
• SIT ने समन्स भेजकर २१ मार्च २०१० को नरेन्द्र मोदी को बुलवाया है यह झूठ किसने शुरू किया ओर किस लिए शुरू करवाया, यह गंभीर जांच का विषय है |
• २१ मार्च २०१० को रविवार था ओर इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है | अफवाह फैलाने वाले मित्रों ने इतनी सी प्राथमिक जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी |
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत स्पेश्यिल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के अधिकारीगण २१ मार्च २०१० को गुजरात में थे या नहीं इसकी प्राथमिक जानकारी हासिल करना भी इन झूठ फैलाने वाले मित्रों को मुनासिब ना लगा |
• देशवासियों को मैं विनम्रता से बताना चाहता हूँ कि मेरे उपस्थित होने के लिए २१ मार्च २०१० की तारीख तय नहीं की गई थी, इसलिए SIT में २१ मार्च को मुझे बुलाया गया था, यह बात बिलकुल झूठी है की मैं सर्वोच्च अदालत द्वारा नियुक्त संस्था के गौरव तथा कानून का आदर करके को संपूर्ण सहयोग दूँगा.
२१ मार्च २०१० तो कुछ स्वार्थी तत्वों की खोज थी तथा इसी के तहत कानून की निर्धारित प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया गया था की वह ऐसा चाहते थे कि में SIT को कोई तवज्जो नहीं देना चाहता, ऐसी स्थिति का निर्माण हो |
पिछले २४ घंटे से देश में इस मन-घडंत जानकारी के दुष्प्रचार का अभियान ऐसा चला कि कई प्रचार माध्यम भी उसके साधन बन गये मुझे आशा है कि अब ऐसा माध्यम भी सच्चा ओर सुधारात्मक अभिगम अपनाएंगे |
प्यारे देशवासियों,
वर्ष २००२ से गुजरात को लगातार बदनाम कर रहे इन तत्वों को गुजरात और देश की जनता अच्छी तरह पहचानती है लेकिन मुझे यह सत्य कहना है कि तरह तरह की अफवाह ओर झूठ फैलाकर जनता को उत्तेजित करने का पाप लोकतंत्र की समग्र प्रक्रिया में अवरोधक बनता है | पिछले २४ घन्टे के इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए, यह झूठ फैलाने और मुझे बदनाम करने का षड्यंत्र नजर आ रहा है | स्वार्थी तत्वों और विभिन्न परिबलो की आपस में कैसी सांठ-गाठ है यह स्वयं ही सार्वजनिक हो गया है|
गोधरा और गोधरा घटना के बाद की घटनाओं के लिए गुजरात सरकार हमेशा जांच आयोगों , जांच एजेंसियॉ और सर्वोच्च न्यायालय-सभी की न्यायिक प्रक्रिया का आदर करती रही है और इसलिए ही इस विषय पर किसी भी मामले ओर बयानों के साथ जुड़ना राज्य सरकार ने उचित नहीं समझा | समग्र जांच हमेशा न्यायिक स्तर पर बिना के चलाती रहे इसलिए झूठ ओर बदनामी सहकर भी राज्य सरकार ने मौन रखना ठीक समझा है |
अब जब पिछले २४ घंटे का घटनाक्रम झूठ की पराकाष्ठा को पार कर चुका है तो सिर्फ सच्चाई क्या है यह देशवासियों को बताना मैने अपना कर्तव्य समझा है |
मुझे आशा है कि इस सत्य का भी दुरुपयोग करके जांच प्रक्रिया को निहित स्वार्थो के लिए गुमराह करने की कोशिश नहीं की जाएगी और प्रचार माध्यम भी मेरी इस वेदना और भावनाओं को लोगों तक पहुँचाएंगे |
धन्यवाद
(www.narendramodi.in से साभार)
8 comments:
आँखों में पानी नहीं है क्या ?......
......
शहीदों को शत् शत् नमन......
आज सुबह से ही मैं पानी पानी हूँ...मुझे इस विशेष दिन की याद ही नहीं थी........
.....
.......
विश्व जल दिवस....नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html
अरे कोई है ?
तथाकथित सेक्युलर मीडिया वाला , एंडीटीवी वाला, प्रिंट मीडिया वाला कोई तो होगा, जो इस पत्र को पढ़े ..... या ?
हम सभी नरेन्द्र मोदी के साथ हैं और जो कोई भी नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने का कोशीश कर रहा है वैसे देशद्रोही को लानत है। दलाल हैं इस देश के जो नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने का कोशीश कर रहें है।
6M के हाथों बिका हुआ मीडिया (अर्थात्- मार्क्स, मुल्ला, मिशनरी, मैकाले, मार्केट और माइनो) से अब किसी भी सकारात्मक समाचार की आशा करना व्यर्थ ही है। लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ अपनी शुरुआत से ही दिग्भ्रमित है। चाहे जैसे भी हो, बस उसे तो "हिन्दुत्व या हिन्दू" से किसी भी प्रकार से संबद्ध व्यक्ति, समाज को गरियाना है, अपने शर्मनिरपेक्ष अंदाज में.......
नटराज जी, नरेन्द्र मोदी जी की वेदना को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए आप बधाई के पात्र हैं. आशा है, आगे भी इसी प्रकार हमें अद्यतित करते रहेंगे.
कोई नहीं मानने जा रहा है इन सफ़ाईयों को| मानी जायेगी सिर्फ़ अल्पसंख्यकों की, मानव धिक्कारियों की और प्रगतिशील(क्म्युनिस्ट्स ओनली)विद्वानों की। और उनकी नजर में नरेन्द्र मोदी हिटलर से भी ज्यादा निरंकुश हैं।
अब भाई हमें तो नरेन्द्र मोदी पसंद हैं, स्पष्टीकरण दें या न दें।
हिन्दूओं को बदनाम करने की फ़ैशन बन गई है| ये जूठे देशद्रोही कृपया ये बतायेगे की गुजरात में 2002 में दंगे क्यों हुए? हमारे मुह पे थप्पड़ तब पडती है जब हम दूसरों के मुह पे थप्पड़ मारते है|
Saaf Suthari Safai Dee hai.
modi jee apka koee kya kar lega - desh kee janata apke sath hai 6m to poori takat se bhonkte rahendge inke astitva kaa adhaar chatukarita hee hai
Post a Comment