Monday, September 24, 2007

इस्लामी कप ?!!!!

रोमांचक मैच, और भारत की जीत. जश्न के माहौल में सारा भारत डूब गया. धर्म, प्रांत, भाषा की दीवारें ढह सी गई. सचमुच भारतीयता जीत गई.

हार के बाद पाकिस्तानी कप्तान ने अपने देश से माफी माँगी साथ ही पूरी दुनिया के मुस्लिम-लीग से भी माफी माँगी. पाकिस्तान से माफी माँगना तो समझमें आता है मगर समग्र विश्व के मुस्लिम समुदाय से कैसी माफी? क्या यह कप भी “इस्लामिक-बम” की तरह “इस्लामिक कप” होता? क्या पाकिस्तान सारे मुसलमानों का झण्डाबदार है? किस हद दर्जे की कट्टरता और घटीया सोच की घूँटी पिलायी जाती है, इन्हे. इस प्रकार तो हमारे पठान बन्धू इस्लाम के अपराधी हो गए, जिन्होने देश के लिए पाकिस्तान की तरफ से इस्लाम को मिलने वाले जीत के तौहफे से वंचित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

कहीं यही वजह तो नहीं जो कई जगह (आज के अखबारों की खबरों के अनुसार) जश्न मनाते लोगो पर पाकिस्तानी हार से खिन्नाये लोगो ने पत्थरबाजी की.

तब तो कहना ही होगा, धर्मनिरपेक्ष भारत की इस्लामी कट्टरता पर जीत हुई. मनाओ जश्न.

4 comments:

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi September 25, 2007 at 12:16 AM  

बिलकुल, चौंक गया था में भी वह सुनकर जो शोऐब मलिक ने बोला. क्या फाइनल मुकाबला मुस्लिम और गैर-मुस्लिम टीमों के बीच था ?

बेहद शर्मनाक सोच रही पाकिस्तान टीम के कपतान की.

और एक हम हैं ... जो सफेद झंडा उठाये .. शांति के गीत गाये जा रहे हैं.
जरा गौर करें कि क्या घुट्टी पिलायी जा रही है पाकिस्तान में खिलाडियों को..

अनुनाद सिंह September 25, 2007 at 4:27 AM  

इस्लाम का सेक्युलरिज्म से जन्मजात बैर है। इसलिये पाकिस्तानी टीम के कप्तान की क्षमा-याचना में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है।

ePandit September 25, 2007 at 7:10 AM  

बड़ी है संकीर्ण मानसिकता के हैं ये खिलाड़ी। खेल जैसी चीज को भी धर्म से जोड़ रहे हैं।

Dharni September 25, 2007 at 5:34 PM  

चिट्ठा जगत में आपका स्वागत!
पाकिस्तान के बारे में क्या कहना!

  © Blogger template The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP