Tuesday, September 4, 2007

माँ भारती की फक्कड़ आरती.

हजारों लोगों की भीड़ बेसब्री से एक बड़े से मंच के पास किसी का इंतज़ार कर रही है। मंच के आसपास से शंख, ढोल और तबले की आवाज के बीच खिचड़ी दाढ़ी वाला, लंबा सा कुरता पहने एक हाथ में माईक लिए और दूसरे हाथ में ब्रश लिए एक युवक आता है और भारत माता की जय का नारा लगाकर कविता पढ़ना शुरु करता है। उसके एक हाथ में माईक है और दूसरे हाथ में ब्रश है, वह पूरी ऊर्जा से अपनी कविता पढ़ रहा है और साथ में वह पलक झपकते ही महाराणा प्रताप, शहीद भगत सिंह, शिवाजी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लोकमान्य तिलक जैसे वीर योध्दाओं के चित्र बनाता जाता है। कार्यक्रम का क्लाईमैक्स तब आता है जब वह युवक भारत माता का चित्र बनाता है।

इस युवक का नाम है सत्यनारायण मौर्य और इसके फक्कड़ रहन सहन की वज़ह से प्रशंसकों ने इसे 'बाबा' नाम दिया है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ शहर का यह युवक अपनी चित्रकला की पढ़ाई के लिए जब गाँव से पहली बार उज्जैन जैसे बड़े शहर में पहुँचा था तो वहाँ उसके पास जेब खर्च तो दूर अपनी पढ़ाई पूरी करने तक के लिए पैसे नहीं थे मगर धुन के पक्के इस युवक ने वहाँ लोगों के साईन बोर्ड, बैनर और पोस्टर लिखकर और अपने से जूनियर छात्रों को पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की और विक्रम विश्वविद्यालय से चित्रकला में स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। मगर आज यही युवक इस बात को गर्व से कहता है कि मैंने झूठी डिग्री हासिल करने के लिए झूठी पढ़ाई की, अगर मैं उस वक्त इस पढ़ाई का विरोध करता तो मुझे अनुत्तीर्ण कर दिया जाता। इस युवक को मैकाले की शिक्षा रास नहीं आई और लोगों को जागरुक बनाने के लिए उसने अपना खुद का माध्यम चुना-चित्रकला और कविता। आज इस फक्कड़ कवि ने दुनिया भर में अपनी पहचान बना ली है।

(यहाँ रमताजोगीजी के लेख का अंश लिया गया है. फक्कड़ बाबा के बारे में और अधिक यहाँ पर पढ़ सकते है. )

1 comments:

ePandit September 5, 2007 at 4:54 AM  

रुचिकर जानकारी, आभार।

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