Tuesday, September 25, 2007

बा मुलायजा होशियार

राजतीलक की तैयारी करें, भारत के अगले शासक ने सिंहासन की तरफ एक और कदम बढ़ा दिया है. महामंत्री बन गये है.

बात कर रहें है, आजाद भारत के प्रथम राजवंश की अगली पीढ़ी की. त्यागमूर्ति के पूत्र राहूल गाँधी की. लोकतंत्र है, जनता जिसे चाहें सिंहासन दे, हम कौन होते है कुढ़ने वाले?
अब हमारे बाप-दादाओं ने कहाँ उनके बाप-दादाओं की तरह देश की सेवा करते हुए गोलियाँ खायी, फाँसी पर झूल गए या काले पानी की सजा पायी. सेवा की है तो मेवा भी खाएंगे ही ना.

ऐसी ही सेवा गाँधीजी, सुभाषजी, भगतसिंहजी, सावरकरजी, मौलाना आजादजी, बिस्मिल्लाजी जैसे लोगो ने की होती तो उनके वंशज भी मेवा खा रहे होते. ना की बहादूरशाह जफ़र के वंशजो की तरह चाय का ठेला लगा रहे होते.

Read more...

Monday, September 24, 2007

इस्लामी कप ?!!!!

रोमांचक मैच, और भारत की जीत. जश्न के माहौल में सारा भारत डूब गया. धर्म, प्रांत, भाषा की दीवारें ढह सी गई. सचमुच भारतीयता जीत गई.

हार के बाद पाकिस्तानी कप्तान ने अपने देश से माफी माँगी साथ ही पूरी दुनिया के मुस्लिम-लीग से भी माफी माँगी. पाकिस्तान से माफी माँगना तो समझमें आता है मगर समग्र विश्व के मुस्लिम समुदाय से कैसी माफी? क्या यह कप भी “इस्लामिक-बम” की तरह “इस्लामिक कप” होता? क्या पाकिस्तान सारे मुसलमानों का झण्डाबदार है? किस हद दर्जे की कट्टरता और घटीया सोच की घूँटी पिलायी जाती है, इन्हे. इस प्रकार तो हमारे पठान बन्धू इस्लाम के अपराधी हो गए, जिन्होने देश के लिए पाकिस्तान की तरफ से इस्लाम को मिलने वाले जीत के तौहफे से वंचित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

कहीं यही वजह तो नहीं जो कई जगह (आज के अखबारों की खबरों के अनुसार) जश्न मनाते लोगो पर पाकिस्तानी हार से खिन्नाये लोगो ने पत्थरबाजी की.

तब तो कहना ही होगा, धर्मनिरपेक्ष भारत की इस्लामी कट्टरता पर जीत हुई. मनाओ जश्न.

Read more...

Wednesday, September 19, 2007

परवेज भाई रामजी खतरे नहीं है.

अरे रे रे परवेज भाई ये क्या लिख दिया की “हां तो भाई राम जी एक फिर ख़तरे मे है।“ ना भाई ना. राम को खतरा ना है, खतरा तो रामसेतु को है।

एक बार 'बाबर' ने पंगा ले लिया था।
बाबर क्या खा कर राम से पंगा लेता भला। लाचार हारे हिन्दुओं को उनकी औकात बता दी थी, बस। हजारों मन्दिर ध्वस्त हुए, साथ में रामजी का मन्दिर भी ध्वस्त हो गया।

बाबर कि निशानी पर चढ़ कर उसे उसकी औकात बता दी।
बाबर की बर्बरता की निशानी कहो...ज्यादा सही रहेगा.

भगवा झंडे वालो ने हजारो देशद्रोहियों को उनकी औकात बतायी थी।
बुरा मत मानना, बात कुछ हजम नहीं हुई।

ये भूल गए कि इन्होने एक बार नारा दिया था कि" मंदिर वही बनायेंगे"।
धन्यवाद याद दिलाने के लिए। दम हुआ तो बना लेंगे।

ये फिर दुबारा राम को बचाने का ठेका ले रहे है।
रामजी को कौन बचा सकता है? ये तो बात सेतु की है जो हमारा कर्तव्य है, अपनी धरोहर बचाना। भारत में है तो हाथ-पैर मार रहे है। अफगान में होता तो क्या कर लेते?

" काठ कि हांडी बार बार नही चढती"
राम का नाम काठ की हांडी नहीं है, मुन्ना।

Read more...

Tuesday, September 4, 2007

माँ भारती की फक्कड़ आरती.

हजारों लोगों की भीड़ बेसब्री से एक बड़े से मंच के पास किसी का इंतज़ार कर रही है। मंच के आसपास से शंख, ढोल और तबले की आवाज के बीच खिचड़ी दाढ़ी वाला, लंबा सा कुरता पहने एक हाथ में माईक लिए और दूसरे हाथ में ब्रश लिए एक युवक आता है और भारत माता की जय का नारा लगाकर कविता पढ़ना शुरु करता है। उसके एक हाथ में माईक है और दूसरे हाथ में ब्रश है, वह पूरी ऊर्जा से अपनी कविता पढ़ रहा है और साथ में वह पलक झपकते ही महाराणा प्रताप, शहीद भगत सिंह, शिवाजी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लोकमान्य तिलक जैसे वीर योध्दाओं के चित्र बनाता जाता है। कार्यक्रम का क्लाईमैक्स तब आता है जब वह युवक भारत माता का चित्र बनाता है।

इस युवक का नाम है सत्यनारायण मौर्य और इसके फक्कड़ रहन सहन की वज़ह से प्रशंसकों ने इसे 'बाबा' नाम दिया है। मध्यप्रदेश के राजगढ़ शहर का यह युवक अपनी चित्रकला की पढ़ाई के लिए जब गाँव से पहली बार उज्जैन जैसे बड़े शहर में पहुँचा था तो वहाँ उसके पास जेब खर्च तो दूर अपनी पढ़ाई पूरी करने तक के लिए पैसे नहीं थे मगर धुन के पक्के इस युवक ने वहाँ लोगों के साईन बोर्ड, बैनर और पोस्टर लिखकर और अपने से जूनियर छात्रों को पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की और विक्रम विश्वविद्यालय से चित्रकला में स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। मगर आज यही युवक इस बात को गर्व से कहता है कि मैंने झूठी डिग्री हासिल करने के लिए झूठी पढ़ाई की, अगर मैं उस वक्त इस पढ़ाई का विरोध करता तो मुझे अनुत्तीर्ण कर दिया जाता। इस युवक को मैकाले की शिक्षा रास नहीं आई और लोगों को जागरुक बनाने के लिए उसने अपना खुद का माध्यम चुना-चित्रकला और कविता। आज इस फक्कड़ कवि ने दुनिया भर में अपनी पहचान बना ली है।

(यहाँ रमताजोगीजी के लेख का अंश लिया गया है. फक्कड़ बाबा के बारे में और अधिक यहाँ पर पढ़ सकते है. )

Read more...

  © Blogger template The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP