सुनो तिवारी, हम हरामखोर देशद्रोही नहीं हैं
हमें गर्व है गुजराती होने पर, इस धरती ने नेहरू नहीं गाँधी और पटेल दिये है। अगर गुजरात खुश है तो तुम्हें क्यों तकलीफ होती है, हमारी मेहनत से हम खुश है। क्या खुशी मनाना देशद्रोह है?
निक्कमे वामपंथी जिन्हे केवल हड़तालों का ही प्रबन्धन आता है, अगर नेनो को मेनेज नहीं कर सके तो इसमें हमारा क्या दोष? यह प्रोजेक्ट तो उन्हीं के पास था, वे भी जश्न मनाते, किसने रोका था? हमने नेनो के आगमन पर खुशी जताई है, उसके बंगाल से जाने पर नहीं।
अगर राज ठाकरे का पड़ोसी होना अपराध है तो उस घर को क्या कहेंगे जहाँ वह रहता है, ऐसे में तो मराठी महा देशद्रोही हो गए!
गुजरात के देशभक्तों की तुलना हुर्रियत जैसे हरामखोर देशद्रोहियों से कर तुमने अपनी जलन ही व्यक्त की है। भगवान तुम्हें सोचने समझने की सक्षता दे।
हमें हमारे नेता पर गर्व है, तुम्हे लालू, मुलायम, पासवान, बुद्धदेव जैसे देशभक्त मुबारक.
7 comments:
देश में लाखों तिवारी हैं...किसकी बात कर रहे हैं...डरिए मत नाम लेकर बात करिए...
You are right my dear friend. Some of the people are using their wit in wrong direction and this sanjay on of them.
क्या बात कही, बहुत बढि़या।
रतन टाटा को अभी तक इनलोगों ने कम्यूनल नहीं कहा. थोडी शर्म बाकी है शायद.
अगर किसी भी प्रदेश में नैनो और टाटा जाएंगे तो वहां रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, खुशहाली का एक नया अध्याय खुलेगा। ऐसे में प्रदेश के लोग खुश होंगे। दीपावली मनाएंगे। इसमें किसी के पेट में यदि दर्द होता है ता ये दुखद है।
तिवारी जी ने क्या लिखा ये तो मेने नही पढ़ा लेकिन आप के विचारों से में सहमत हूँ ,नेनो तो बंगाल में ही थी उन्होंने तो इसे बेआबरू करके ही निकाला है और गुजरात तो उद्योगों के लिए स्वर्ग है ,गुजरातियों की मेहनत पर भी अंगुली नही उठाई जा सकती |
किस तिवारी के बारे में बात कर रहे हैं? बयान का कोई लिंक दे दिया होता....... यह भी समझ आ रहा की तिवारी कोई नेता है या ब्लॉगर
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