क्या चाहते है ये कथित मासूम
उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद हाय-तौबा मचाने वालों की कोई कमी नहीं रही। कुछ लोग खूद को सौहार्द्य का शहंशाह समझने के फिराक में देशहित को भूल गए। कुछ देशद्रोही तमाम क्षेत्रों में इनके बचाव पर उतर आए, ब्लॉगजगत भी इससे अछूता नहीं रहा।
मगर जिन्हे मासूम कहा जा रहा है, पूलिस पर उँगलियाँ उठाई जा रही है, उनके विचार कैसे है?
प्रतिबंधित संगठन सिमी के कोषाध्यक्ष मो अली ने पुलिस रिमांड में पूछताछ के दौरान कहा कि उनके संगठन को भारतीय संविधान मे आस्था नहीं है.
उसने आगे कहा कि, वे लोग पूरी दुनिया को इस्लाम धर्म के अनुसार चलाना चाहता है और इसके लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है.
कमसे कम देश व सभ्य दुनिया के लिए इनके समर्थन से बाज आईये. देशद्रोही चिट्ठों को पहचानिये और उन पर टिप्प्णी कर नोबल शांति पुरस्कार की आशा मत रखे। जब देश ही नहीं रहेगा तब क्या करोगे?
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