ये रहे कला के उत्तम नमुने
वड़ोदरा में हंगामे के साथ एक चित्रकार की पेंटींगो को हटा दिया गया. यह कला का गला घोंटना था. मगर अपने पास भी ब्लोग जैसे माध्यम है. तो लिजीये पेश है महान कृतियों मे से दो चित्र.
आप कलाकार है तो आप इसमें छीपी भावना समझ ही जएंगे, तो ताली बजा कर कलाकार का उत्साह बढायें. आप कलाकार नहीं है तो अपने आप को बेवकुफ मत कहलवायीये, साथ साथ तालियाँ बजाईये की क्या महान कलाकारी है.
चित्र एक : कई देवताओं के मुख है, किसका चित्र माने. बाकि कुछ लिख नहीं सकता खुद ही देख लें.
चित्र दो : यह चित्र कहते है दूर्गा का है. मेरी नजर में तो प्रसवपीड़ा से गुजरती महिला का मजाक ही है.
ये चित्र खाश उन लोगो के लिए रखे जिनके अनुसार एक फासिस्ट सरकार द्वारा कला का गला घोंटा जा रहा है. मैं उनसे इस कला को समझना चाहता हूँ.
संजय भाई वो हिन्दी में क्या बोलते है? गरयीयाना मत.
3 comments:
सबसे पहले तो हार्दिक धन्यवाद. हमने अब तक यह पेंटिंग्स नहीं देखी थी.
मैं आपको समझाऊँगा भी तो आप समझने से इनकार कर देंगे इसलिए उसमें पड़ने की ज़रूरत नहीं है, बेवकूफ़ समझे जाने से बचने के लिए ताली बजाने की भी ज़रूरत नहीं है. बहुत सारी चीज़ें बहुत लोगों को समझ में नहीं आती. कौन है जिसे सब समझ में आता है?
लेकिन एक कलाकार को जेल में डालने का समर्थन करने की क्या ज़रूरत है. उस बंदे ने आर्ट की परीक्षा के लिए पेंटिंग बनाई थी, यह बात उसके और उसके टीचर के बीच थी, मास्ससाब फेल कर देते, स्कूल से निकाल देते लेकिन पुलिस कहाँ से आ गई.
उसने पेंटिंग पब्लिक के लिए नहीं बनाई थी फिर भी वह पाँच दिन जेल में रहा, आपने पेंटिंग जन-जन तक पहुँचाई है, अब बताइए आपको कितनी सज़ा होनी चाहिए.
देखो भाई .... अगर मैं कोई बात दस जानो की उपस्थिथी में कहूँ तो यकीन मानिये दस के दस जन उसके अर्थ अपनी सुविधा अनुसार लेंगे... इस तरह से कला है ... आप चाहे जो भी बनाए किसी को वह शील लगेंगी तो किसी को अश्लील.... बच्चा जब पैदा होता है नंगा होता है .... अब इसे मैं एक चित्र मैं दर्शाऊं तो हो सकता है की कुछ लोग इसे भी अश्लील कहें.... अब इस बहस में काहे पड़ें ... जो ठीक लगता है ले लो ... जो नही उसे जाने दो ..... अब जो कलाकार उसे अपने मन की कर लेने दे.... क्यों पहरे बिठाते हो .... क्या जो कुछ भी समाज में हो रहा है ... वो इन नंगी तस्वीरों के कारन हो रहा है ..... और भी मुद्दे हैं भाई .... कुछ सार्थक करो.... क्यों किसी कलाकार की रचना तो तार तार करते हो
भगवान भला करें इन कमेंट वालों का
अब बिचारों को क्या कहें कि पेंटिग्स में अश्लीलता का मतलब कला नहीं होता
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